अतीक अहमद कौन है (Who is Atiq Ahmed in Hindi)
हाल ही में आप न्यूज़ में एक नाम बार-बार सुन रहे होंगे - अतीक अहमद। अतीक अहमद कौन हैं, वे क्या करते हैं और उनका नाम न्यूज़ में क्यों आ रहा है - ऐसे सभी प्रश्न आपके दिमाग में चल रहे होंगे, लेकिन इस लेख में आपको उन सभी प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे। चलिए, जानते हैं कि अतीक अहमद कौन हैं और उनका अब तक का जीवन कैसा रहा है।
Contents अतीक अहमद कौन है (Who is Atiq Ahmed in Hindi)
अतीक अहमद वर्तमान में एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, लेकिन इनका नाम अक्सर अपराधों के लीडरों में शामिल किया जाता है। एक समय था जब अपराध की दुनिया में अतीक अहमद का नाम बड़े पैमाने पर घूमता था, लेकिन जब से वे राजनीति में कदम रखा है, तब से उन्होंने इस दुनिया से पीछे हटकर आगे बढ़ाई है। यह सच नहीं है कि उनके खिलाफ कभी अपराध का केस नहीं खड़ा हुआ, क्योंकि हाल ही में राजू पाल और उमेश पाल के मर्डर केस में उनका नाम सामने आया है।
अतीक अहमद का शुरूआती जीवन (Atiq Ahmed Early Life)
फिरोज इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर टोकरी चलाने वाले काम को बिलकुल नहीं पसंद करते थे, लेकिन उन्होंने इसे करना हमेशा से ही नहीं चाहा था। यह उनके लिए एक बड़ा कारण बन गया कि वे राजनीति में अपना हिस्सा लेने लगे।
अतीक अहमद ने रखा अपराध की दुनिया में कदम (Criminal Activity)
अतीक अहमद के पिता पहले तांगा चलाते थे, लेकिन वह उसे नहीं करना चाहते थे। उसने राजनीति में जाने का फैसला किया। उसके बाद से उसने बहुत सारे अपराध करे हैं। जैसे कि लोगों की हत्या करना, गुंडागर्दी, सरकारी काम में बाधा डालना और अन्य। उसके खिलाफ 80 मामले दर्ज हैं।
अतीक अहमद का राजनीतिक सफर (Atiq Ahmed Political Career)
प्रयागराज पश्चिम विधानसभा सीट
अतीक अहमद ने 1989 में प्रयागराज पश्चिम विधानसभा सीट के लिए नामांकन किया था। उन्हें निर्दलीय प्रत्याशी की सीट मिली जहाँ से उन्होंने अपनी नई राजनीतिक शुरुआत की। वे पश्चिम विधानसभा सीट पर पांच बार विधायक रहे। इस सीट से उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की और सबसे पहले उन्होंने इसी सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में कार्य करना शुरू किया। उन्होंने कांग्रेस के गोपालदास को 8102 वोटों से हराया था। इसके बाद उन्होंने 1991 और 1993 के निर्दलीय चुनाव भी इसी सीट से लड़े और दोनों चुनावों में वे जीते। उन्होंने समाजवादी पार्टी का समर्थन लेकर साल 1996 में चौथी बार विधायक बने। लेकिन कुछ समय बाद उनकी सपा से अलगाव हो गया जिससे उन्होंने सपा का साथ छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने 1999 में सोनलाल पटेल की पार्टी को ज्वाइन किया।
प्रतापगढ़
अपना दल ने उन्हें प्रतापगढ़ से चुनाव में उतारा, लेकिन अतीक को यहां हार का मुंह देखने को मिला। वहीं 2002 में अपना दल ने अतीक को उनकी परंपरागत सीट इलाहाबाद पश्चिमी से टिकट मिला। इस चुनाव में उन्हें फिर दोबारा कामयाबी मिली। जिसके बाद वो विधानसभा पहुंचाने में सफल रहे। साल 2003 में मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी तो अतीक अहमद ने दोबारा सपा ज्वाइन की। जिसके बाद उन्होंने सपा का हाथ नहीं छोड़ा।
अतीक अहमद के दल ने पहली बार प्रतापगढ़ से उन्हें चुनाव में उतारा लेकिन वह यहां हार का सामना करना पड़ा। फिर 2002 में उन्हें उनकी परंपरागत सीट इलाहाबाद पश्चिमी से टिकट मिला और उन्हें दुबारा चुनाव जीतने में सफलता मिली। उन्होंने विधानसभा पहुंचने में भी सफलता पाई। 2003 में मुलायम सिंह यादव की सरकार बनने के बाद, अतीक ने फिर से सपा को ज्वाइन किया और उन्होंने उससे किसी भी तरह का संबंध नहीं छोड़ा।
2004 में बने फूलपुर से सांसद
अपना दल ने उन्हें प्रतापगढ़ से चुनाव में उतारा, लेकिन अतीक को यहां हार का मुंह देखने को मिला। वहीं 2002 में अपना दल ने अतीक को उनकी परंपरागत सीट इलाहाबाद पश्चिमी से टिकट दिया था। इस चुनाव में उन्हें फिर दोबारा कामयाबी मिली जिसके बाद वो विधानसभा पहुंचाने में सफल रहे। साल 2003 में मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी तो अतीक अहमद ने फिर सपा के साथ जुड़ लिया। जिसके बाद उन्होंने सपा का हाथ नहीं छोड़ा।
साल 2004 में सपा ने अतीक अहमद को लोकसभा चुनाव में फूलपुर से टिकट दिया। उन्होंने इस चुनाव में जीत हासिल की और पहली बार लोकसभा में चुनाव जीता। उन्होंने विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया। वहाँ हुए उपचुनाव में सपा ने अतीक के भाई खालिद को टिकट दिया था। लेकिन बसपा के राजू पाल ने उन्हें हरा दिया। अतीक ने हार का गुस्सा सहन नहीं किया और राजू पाल की हत्या करवा दी। उनकी अवैध संपत्ति और निर्माण पर सरकार
अतीक अहमद पर राजू पाल की हत्या का आरोप (Atiq Ahmed accused of killing Raju Pal)
साल 2004 में अतीक अहमद को सपा ने फूलपुर से लोकसभा चुनाव के टिकट दिए थे। उन्होंने चुनाव जीतकर पहली बार लोकसभा में पहुंचे। इसके बाद उन्होंने विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया। इस सीट पर हुए उपचुनाव में सपा ने अतीक के भाई खालिद को टिकट दिया था। लेकिन वहां बसपा के राजू पाल ने इस सीट को जीत लिया था। इस हार का गुस्सा अतीक अहमद सहन नहीं कर पाए और उन्होंने राजू पाल की हत्या करवा दी। साल 2005 में, अतीक अहमद ने दिनदहाड़े राजू पाल की गोली मारकर हत्या कर दी। इस कांड में, उनके भाई खालिद को आरोपी करार दिया गया था। उनकी अवैध संपत्ति और निर्माण के मामलों पर सरकार ने केस किए थे। इस वजह से उनकी किस्मत के ताले बंद होने का खतरा उन पर आ रहा है।
अतीक अहमद मायावती ने कसा शिकंजा (Atiq Ahmed Mayavati)
साल 2007 में मायावती की पार्टी के एक विधायक की हत्या के मामले में कड़ी कार्रवाई की गई थी। जब मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी तब उन्होंने अतीक अहमद के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की शुरुआत की थी। इसके बाद उनपर कई मुकदमे दर्ज किए गए थे, जिससे उनकी संपत्ति को भी जब्त कर लिया गया था। दबाव बढ़ने के कारण, अतीक की गिरफ्तारी हुई थी। इस मामले में उनपर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी घोषित किया गया था। लेकिन साल 2014 में, सपा की सरकार बनने के बाद उनकी जमानत कराई गई थी।
अतीक अहमद ने दिल्ली में किया आत्मसर्मरपण (Atiq Ahmed Surrendered in Delhi)
अतीक अहमद, जो सपा सांसद थे, फरार हो गए थे। इसके कारण उनके नाम पर इनाम भी घोषित कर दिया गया था। एक दिन उन्होंने खुद पुलिस थाने में आकर आत्मसर्मपण कर दिया। इसके बाद, उनके खिलाफ कार्रवाई की जानकारी पुलिस द्वारा मीडिया को दी गई। पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी के लिए तैयारियां की हैं और जैसे ही वे कोर्ट में पेश होंगे, उनपर कार्रवाई की जाएगी।
अतीक अहमद ने करवाई उमेश पाल की हत्या (Atiq Ahmed got Umesh Pal Killed)
राजू पाल की हत्या के बाद अब राजू के खास दोस्त उमेश पाल की भी हत्या हो चुकी है। इससे उनके ऊपर दोनों की हत्या करवाने का मुकदमा दर्ज किया गया है। कार्रवाई शुरू कर दी गई है। उत्तर प्रदेश सरकार ने उनके अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई भी शुरू कर दी है। इससे उन्हें अपने किए गए अपराध के गंभीरता का पता चलेगा। इसके बाद से कोई ऐसा अपराध करने से पहले कई बार सोचेगा। अन्य कार्रवाई भी जारी है।
अतीक अहमद के बेटे असद का हुआ एनकाउंटर
उमेश पाल केस में उत्तर प्रदेश पुलिस को एक बड़ी सफलता हासिल हुई है, जिसके बाद असद अहमद और गुलाम, जो मर्डर केस के मुख्य आरोपी थे, को एनकाउंटर में मार डाला गया है। ये दोनों अनुसरण के बाद दिनों से फरार थे। इनका एनकाउंटर झांसी के पास बड़ागांव और चिरगांव के बीच में हुआ, जो 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दोनों झांसी और कानपुर हाईवे के पास स्थित एक परीक्षा बंद के आसपास छिपे बैठे थे, जहाँ यूपी एसटीएफ ने दोनों को घेर लिया। फिर दोनों तरफ से फायरिंग हुई और दोनों का एनकाउंटर हो गया।
अतीक अहमद को बेटे के अंतिम संस्कार में शामिल होने का नहीं मिलेगा मौका
अतीक अहमद ने बताया है कि उमेश पाल की हत्या उन्होंने ही करवाई थी। उन्हें इस आरोप को स्वीकार कर लिया गया है और उन्हें अदालत से सजा भी हो गई है। उन्होंने बेटे की मौत के बाद अदालत से बेटे के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सिफारिश की है। अतीक अहमद के पिता फिरोज अहमद की मृत्यु के समय भी वह जेल में थे और उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सके। असद और गुलाम के शव उप्र पुलिस द्वारा प्रयागराज ले जाए जाएंगे और उनका अंतिम संस्कार उसी जगह होगा। यह सभी कार्यवाही शनिवार को होनी है।
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